यादों में डूबा मन (कविता)
------------------------------
चेहरे पर स्किंध
मुस्कान निखरें,
रंगत रहे यूं ही
नूरानी, इसलिए..
आंखों से बहते
अश्रु बूंदों को
यूं ही..... मैंने
लुढ़कने दिया।
क्यों सहेजू
इन मोतियों को,
जो ग़म की
पीड़ा देते है।
दूर करते है
उस अजीज से,
जो दिल के कोठी
में रहते है।
यादों का समुंद्र
है, बहुत गहरा,
मैं उसमें गोता
लगाती हूं।
पर, न डूबोती हूं
उन स्मृतियों को,
जिन पर ख्वाबों
का पहरा है।
हे प्रियतम, तुम
जहां रहो,
पर आते रहना
सपनों में मेरे,
आंसूओं की
परवाह न करना,
बस, करना दिल
को आबाद।
बहुत सुंदर था
अपना प्रेम,
जो दिल को दिल
से जोड़े था।
दिल में बसी
वे मीठे एहसास,
जुदा नहीं हुई
वक्त के थपेड़ों से।
यादों का संबल,
है बहुत बड़ा,
है वह सुदृढ़
और सुमधुर भी।
इन संबंधों की
अंगुली थामें ही,
पार उतरेगी,
मेरी जीवन नैया।।
ttps://www.facebook.com/PhulkariRenuka/
शब्द एवं चित्र
रेणुका श्रीवास्तव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें