संगत में कोई तब
तक नहीं बदलता,
जब तक कि उसमें
स्वयं बदलने की इच्छा
बलवती न हो।।
वरना फूल की संगत
में कांटे भी महकना
सीख जाते। इसलिए
अच्छे बदलाव के लिए
स्वयं प्रयासरत रहना
चाहिए।।।
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शब्द एवं चित्र
रेणुका श्रीवास्तव
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