दूसरे के महल से
ज्यादा भला है,
अपनी झोपड़ी।
क्योंकि...
अपनी झोपड़ी में
जीवंत रहती है,
अपनी स्वतंत्रता व
अपना स्वाभिमान।
ttps://www.facebook.com/PhulkariRenuka/
शब्द एवं चित्र
रेणुका श्रीवास्तव
फुलकारी एक स्त्री के सम्पूर्ण जीवन के सभी पक्षों के उतार-चढ़ाव एवं रंगो को अपनी गोद में समेटे है | अत: ऐसी ही रंग-बिरंगी, फूलों से सजी अपनी वेबसाइट "फुलकारी" का मैंने सृजन किया | "फुलकारी" जीवन के विभिन्न रूपों के प्रति मेरे नजरिए, अनुभवों और दिल से उमड़-घुमड़ कर निकलने और बरसने वाले उद्गारों को व्यक्त करने का माध्यम है जिसे विभिन्न लेखों, व्यंगो, कविताओं, कहानिओं और चित्रों में ढ़ालने, सजानें और सँवारने का मेरा लघु प्रयास निरन्तर जारी रहेगा | आपके सहयोग के लिए धन्यवाद- रेणुका श्रीवास्तवा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें