आजकल जिंदगी बहुत खामोश सी हो गई है,
अपनों की पहचान, बेवजह नासूर बन गई है,
पर
जो जिंदगी में हंसते-मुस्कुराते और गुनगुनाते है,
जिंदगी का राग वहीं सुनाते व समझ पाते है,
वही रुठी हुई जिंदगी में रागिनी भर अलापते है।
शब्द एवं चित्र
रेणुका श्रीवास्तव
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