छोटा मुँह बड़ी बात (लघुकथा)

"भैया, जब-जब रेड लाईट आता है, आप मुँह पर मास्क चिपका लेते है, और गाड़ी इससे आगे बढ़ाते ही मास्क मुँह से हटा देते है, और फिर कहीं भी नहीं लगाते है? आप ऐसा क्यों करते है? क्या कोरोना सिर्फ रेड लाईट पर ही होता है?" नन्हां हर्ष आश्चर्यचकित हो भैया अनुज को घूरते हुए पूछा।
"अरे पगले, रेड लाईट पर कोरोना नहीं होता है, रेड लाईट पर होती है सीसीटीवी कैमरा और पुलिस। बिना मास्क के होने पर जो चलान का 1000 रुपये का  चूना लगायेगा, उसकी भरपाई तो अपनी ही जेब से करना पड़ेगा ना। इतनी बड़ी मुसीबत से बचने का सरल उपाय यही है कि रेड लाईट पर मास्क लगा लो और बाद में बिना मास्क के निश्चिंत होकर आगे बढ़ जाओ।" हर्ष के गाल पर हल्की चपत लगाते हुए अनुज बेपरवाही से बोले।
" अरे वाह भैया, वाह। हजार रुपये का इतना डर और जो कोरोना पकड़़ लेगा, तो कितने का चूना लगायेगा, किसकी जेब पर लगायेगा, और कितनी मुसीबत लेकर आयेगा। कभी यह भी सोचा है?"
"तुझे कैसे पता है?" अनुज हर्ष को घूरते हुए बोले।
"मेरे दोस्त के पापा को कोरोना हो गया था। वही बता रहा था।" 
"अरे वाह। तुझे तो बहुत कुछ पता है।" यह कहकर अनुज मास्क को सही तरह से लगा कर आगे बढ़े।
बेबाकी से बोले हर्ष के जवाब ने अनुज को जो आईना दिखाया, उसने अनुज को सतर्क व विवश कर दिया। अब हर्ष खुश था। वह जब भी अनुज के साथ बाहर जाता, अनुज के चेहरे पर मास्क जरुर होता और हमेशा होता।

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