कोरोना का विभिन्न रुप (कविता)

कोरोना वायरस जब --
विदेश में था,
तो डरे नहीं।
देश में आया, 
तो सजग हुए।
शहर में आया,
तो सतर्क हुए।
कालोनी में आया,
तो  सहम गये।
गली में आया,
तो डर गये।
अब घर में घुस गया,
तो भयभीत हो गए।
कोरोना का वीभत्स रुप,
बहुत डरावना होता है।
तोड़ मरोड़ देता है,
जान पर बन जाता है।
इसलिए सतर्क रहो,
सम्भलकर रहो।
जितना हो सके,
इससे दूर ही रहो।
यह दूर तभी रहेगा,
जब तुम इसको समझोंगे।
जब पूरी सतर्कता और,
सजगता दिखलाओंगे।
और पूरी तरह 
इससे दूर रहने के,
नियमों को अपनाओंगे।
 

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