उड़ती चिड़िया
गाती कोयल,
गुनगुनाते भौरें
रम्भाती गायें।
हिलते पत्ते
बहते बयार,
खिलते फूल
चूभते काँटें।
गरजते बादल
बरसते मेघ,
बहती नदियाँ
लहराती समुंद्र।
उगता सूरज
भागता दिन,
टिमटिमाते तारे
शीतल चाँदनी।
मचलते बच्चे
भटकते युवा,
व्यस्त महिलाएं
अशक्त बूढ़े।
जीवन के है, ये
रंग-बिरंगे रुप,
जो चारों तरफ
मड़राते है।
वे हमें रुलाते
हमें सिखाते,
आगे बढ़ने की
राह दिखाते है।
जिनके बीच ही
उमड़घुमड़ कर,
हम जीवन का
लय बनाते है।
जिसकी क्रीड़ाओं
में रचे बसे हम,
जीने का सुंदर
सुख पाते है।
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