नयी नवेली दुलहिन (कविता)

ससुराल में जब
नयी दुलहिन की,
पायल छम से
छनकती है।
तरंगित करती 
सबके दिलों को,
खुशियों का रंग 
भरती है।

है बिखेरती
सौंधी सी खुशबू,
अपनी हरियाली
परिधान में।
सौम्य सुदर्शन
रुप दिखाती,
हँसकर जब
वह लजाती है।

है खनकती 
लाल चूड़ियाँ भी,
उसकी लहराती
चाल से।
भावनात्मक
संबंध बनाती है,
वह अपने नये
व्यवहार से।

पावन-पुनीत 
बंधन में बँधकर,
वह सावन सी
बरसती है।
छुपाकर अपनी 
मनमोहनी अदा,
बिखेरती है वह
घुँघट की ओट से।

चलाती है
नैनों के बाण,
लाल चुनरी में
छुपे नैन कटोरे से।
दमकाती है अपना  
रुप सलोना,
पिया मिलन की
मधुर मधुमास में ।।

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