जीवन के आदर्श मूल्यों की पहचान बताने वाले मेरे परम पूज्यनीय पापा स्व० श्री राज बल्लभ सहाय जी से बिछुड़ने के बाद मेरे मन में जो रिक्तिता आई उसकी भरपाई आज तक नहीं हो पायी।
शिक्षा व कर्तव्यनिष्ठा के प्रतिउनकी जागरूकता ने ही हमें शिक्षित व जागरूक बनाया है। अच्छे संस्कार, सादगी भरा जीवन और निस्वार्थ सेवाभाव के साथ आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता की अपनी संचित पूंजी, जो उन्होंने हमें विरासत के रुप में दी है...उन्हीं अमूल्य निधियों को आत्मसात करके और उन्हें सम्बल मानकर हम निरंतर आगे बढ़े और अपने बच्चों को भी आगे बढ़ाने की प्रेरणा दिए।
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