विचित्र फूलों से मुलाकात (बाल कहानी)

लता मधुमक्खी, रंगीली तितली और भैरो भँवरा आपस में बातें करते हुए चंदन उपवन के मस्ती भरे माहौल में भ्रमण कर रहे थे। तभी लता भैरो से बोली," भैरो, मैं छुपती हूँ। तुम मुझे ढ़ूढ़ों।" 
"अरे नहीं, लता बहन। मेरे गुन-गुन की आवाज से तुम मुझे पहचान जाओगी और फिर कहीं और जाकर छुप जाओगी। मैं तो तुम्हें ढ़ूढ़ता ही रह जाऊंगा।" 
"तुम भी तो मुझे मेरी आवाज से समझ जाओंगे कि मैं कहाँ छुपी हूँ।" लता हँसकर बोली। 
तभी अचानक रंगीली भैरो और लता को रोककर बोली," लता और भैरो यह उड़ने वाले खेल को भूलकर देखो, चंदन उपवन का वातावरण कितना शांत व सुरम्य है। यहाँ न कोई रोकने-टोकने वाला और न ही परेशान करने वाला है। तभी तो हम लोग यहाँ मस्ती मारते हुए भ्रमण कर लेते है।"
"हाँ, मैं तो प्रतिदिन यहीं आकर आराम से रंग-बिरंगे फूलों का रस चूसती हूँ और आराम से घर जाकर सोती हूँ। क्योंकि इतना साफ-सुंदर बगिया और फूलों का समूह हमें कहीं और नहीं मिलता है।" लता रंगीली के समर्थन में बोली।
भैरो बोला," तुम्हारी ये बातें बिलकुल सही है कि यहाँ सुंदरता के साथ साथ साफ-सफाई भी बहुत है। पर एक ही बगिया में घुमते-घुमते मेरा मन तो घबड़ा जाता है। कभी कभी तो दूसरे बाग-बगीचे को देखने की इच्छा भी बलवती होती है। तब उस समय इस उपवन को छोड़कर इधर-उधर उड़कर भी मैं मजा ले लेता हूँ ।"
भैरो की बातों के समर्थन में लता  बोली," हाँ, यहाँ सुकून भी बहुत है। यहाँ मन चाहे फूलों का रस जी भरकर चूसने में कोई रोकने-टोकने वाला भी नहीं है। पर कभी-कभी घुमने-फिरने के लिए मस्ती भरा उड़ान भरने में भी बहुत मजा मिलता है। मैं भी कभी-कभी यह मौका निकाल लेती हुँ और आसपास उड़ लेती हूँ।"
यह सुनकर रंगीली बोली," यह तो ठीक है। पर एकदिन मैं उड़ते-उड़ते पास के दुसरे उपवन चली गयी थी। वहाँ फूल तो बहुत सुंदर थे। पर वहाँ जानवरों और कुत्ते के जमावड़े को देखकर मैं डर गई। कुत्ता तो भौं-भौं करके मेरे पीछे ही पड़ गया। उस समय तो मुझे अपनी जान बचाकर तेजी से उड़कर भागना पड़ा। इसीलिए मैं इसी उपवन में रहना ज्यादा अच्छा समझती हूँ, क्योंकि यहाँ सुरक्षा तो है। किसी जीव-जंतु का डर नहीं सताता है।"
" रंगीली, तुम बहुत डरपोक हो। तुम तो कुत्तों से डरकर भाग आई। मैं तो ऐसे रंगीन फूलों को भी जानता हूँ, जो देखने में बहुत सुंदर, आकर्षक और अपने अनुठे आकृति के कारण बहुत विचित्र और डरावने भी लगते है। और जिनके रस को हम चूस भी नहीं सकते है।" भैरों बोला।
यह सुनकर लता बोली," भैया, ऐसे फूलों की विचित्रताएं  क्या है जो हम उनके रस को चूस भी नहीं सकतें? मैं तो ऐसे फूलों को कभी देखी नहीं हूँ। क्या तुम मुझे ऐसे फूलों को दिखलाओंगे?"
यह सुनकर भैरों बोला," हाँ, मैं तुम्हें ऐसे फूलों को दिखला तो सकता हूँ, पर तुम्हें मेरी एक शर्त माननी पड़ेगी। तुम लोग इन फूलों से दूर ही रहोगे। तुम्हें इनके पास जानें की जरुरत नहीं है क्योंकि ये हमारे जैसे कीड़ें-मकोड़ों की दुश्मन भी होती है।"
"फूल और हमारी दुश्मन? ये तो मैं पहली बार सुन रही हूँ। अब तो मुझे ऐसे डरावनें और दुश्मन फूलों को देखने की लालसा बढ़ गई है। इसलिए मुझे जल्दी से ऐसे फूलों को दिखला दो।" लता आश्चर्य और जिज्ञासा से बोली।
भैरो बोला,"यदि तुम लम्बी उड़ान भरने को तैयार हो, तो मैं तुम्हें एक से बढ़कर एक अजीबोगरीब फूल दिखा सकता हूँ । क्योंकि ये जंगलों,पहाडों और झीलों में मिलते है।"
रंगीली जो काफी देर से इन दोनों की  बातें सुन रही थी। उसे भैरों की बातों का विश्वास नहीं हुआ। वह विचित्र सा मुँह बनाती हुई बोली,"अजीबोगरीब फूल ... मुझे बेवकूफ मत बनाओ। मैं तुम्हारे झांसें में फँसने वाली नहीं हूँ। मैं ऐसे रंगबिरंगे फूलों को नहीं जानती जो देखने के साथ-साथ व्यवहार में भी अजीब और हमारे दुश्मन होते है और  जिनके रस को हम लोग चूस भी नहीं सकते।"
"मैं ऐसे फूलों को यदि तुम्हें सामने से दिखला दूं, तब तो तुम्हें मुझ पर विश्वास हो जाएंगा। ऐसे फूल बहुत सुंदर और आकर्षक होने के साथ ही साथ अजीब और डरावने भी होते है। जिसके कारण बहुत से कीड़े-मकोड़े, फतींगें आदि इनके सुंदरता के जाल में फँस जाते है। इसलिए इन्हें कीटभक्षी और मांसाहारी भी कहते है क्योकि ये अपने पास आने वाले कीड़े-मकोड़े को अपने जाल में फँसा लेती है।"
लता को बहुत आश्चर्य हुआ। वह बोली ,"लुभाना और  आकर्षित करना तो समझ में आता है , पर जाल में फँसाने वाली बात समझ में नहीं आया। जरा इसे समझाकर तो बताओ।"
"ऐसे फूल पहाड़ों, रेगिस्तान और दलदल वाले जगह पर पाये जाते है। जहाँ इनके भोजन के लिए जरूरी समानों में इन्हें नाइट्रोजन नहीं मिलता है। इसलिए ये हम जैसे कीड़ों का रस चूसकर अपने भोजन में इस नाइट्रोजन की कमी को पूरा कर लेते है।" भैरों बोला।
इसपर रंगीली हँसते हुए बोली," वाह भाई वाह, क्या विचित्र और मजेदार बात बताई है तुमने। एक फूल जो खुद कोमल, मुलायम और नाजुक सी होती है..वह भला हम जैसे कीड़ों को कैसे चूस लेंगी। मजाक छोड़ो। सही बात बताओ।"
"सही ही बोल रहा हूँ। विश्वास न हो तो उड़कर खुद ही देख लो। तब विश्वास हो जायेगा। पर मेरी चेतावनी याद रखना वरना मैं किसी अनहोनी का जिम्मेदार नहीं बनूंगा।" भैरों खिजकर बोला।
"चलों, चलों, हम देखने को तैयार है। हम तुम्हारी चेतावनी को याद रखेंगे और उत्सुकतावश भी फूलों के नजदीक नहीं जायेंगे।" लता और रंगीली एक साथ बोली।
दोनों के उत्साह को देखकर भैरो बोला,"तो फिर चलों। अब देर किस बात की है।"
इसके बाद तीनों दोस्त मिलकर उड़ान भरने लगे। रास्ते में भैरो बोला," इन फूलों की बनावट ही विचित्र होती है। इनमें किसी में नुकीले काँटेनुमा आकृति होती है, किसी के मुख पर ओस जैसा चिपचिपा पदार्थ। ये उसी में फँसाकर कीड़ो के रस को चूस लेते है। पीचर प्लांट के फूल के मुख पर तो ढ़क्कन जैसा पत्ता होता है। जो कीड़ो को दुबारा बाहर जाने नहीं देती है।"
रंगीली हँसती हुई बोली," वाह भाई, वाह। क्या मजेदार बात बताई है? अरे, हम भी तो सभी फूलों का रस चूसते है। जब हम फूलों का रस चूस सकते है तो ये फूल हमारा रस चूसें..क्या फर्क पड़ता है?"
यह सुनकर भैरो चिल्लाकर बोला," फर्क क्यों नहीं पड़ता है? हम फूलों को नुकसान नहीं पँहुचाते है। पर ऐसे फूल तो हमें चूसकर मार ही डालते है। ये हमारे जैसे कीड़ों को आकर्षित करके लुभाते है, फिर पास जाने पर हमें अपने जाल में फँसा ही लेते है। ऐसे कई मांसाहारी फूल है जो चूहों और चमगादड़ को भी पकड़ लेते है।"
"ओह, ऐसी बात है भैया। तब तो सब्र और हिम्मत रखनी ही पड़ेगी। अभी कितनी उड़ान भरनी है? मुझे तो इनकी कहानी सुनकर ही डर लगने लगा है। देखने पर क्या स्थिति होगी, कह नहीं सकती।" रंगीली घबड़ाकर बोली।
भैरो रंगीली को समझाते हुए बोला," हाँ, यही तो मैं भी समझा रहा हूँ। थोड़ी सब्र और हिम्मत रखों, रंगीली। डरनें की अपेक्षा जानकारी भी हासिल करनी चाहिए। पता नहीं कब कौन सी जानकारी हमारे लिए उपयोगी हो जायें। अब हम लोग पँहुचने ही वाले है।"
  वे लोग जंगल के झाड़ियों के उपर से मड़राते हुए जा रहे थे। अचानक दलदल जैसी जगह पड़ने पर भैरों चिल्लाता हुआ इशारा किया और बोला," अरे लता, ठहरों। उधर मत जाना। वही है विचित्र फूलों वाले पौधे। हम यहीं रुककर इन फूलों के कारनामों को खुद अपनी आँखों से देखेंगे और समझेंगे।"
तीनों एक सुरक्षित डाल पर टिककर विचित्र फूलों के  विचित्र कारनामें को एकटक देखने लगे। कीड़े-मकोड़े आते और विचित्र फूलों से चिपक जाते। कोई इन कीड़ों को आकर्षित करके चिपका कर अपने घड़े में ढ़केलकर पत्ते से ढ़क लेता, तो कोई अपने काँटेनुमा आकृति में फँसा लेता, तो कोई अपने ओसनुमा लसलसे पदार्थ में उन्हें चिपका लेता। कीड़ो को चूसने के बाद ये पहले वाली स्थिति में फिर आ जाते। उनकी यह क्रिया निरंतर चल ही रही थी।
काफी देर तक ये लोग ऐसे विचित्र नजारें को देखते रहें। अचानक लता घबड़ाकर बोली,"अरे भैया,मैं किसी विचित्र फूल का ऐसा विचित्र कारनामा देर तक नहीं देख सकती। इसलिए जल्दी से वापस घर चलों।"
"हाँ भैया, हमें अपना चंदन उपवन ही प्यारा है। जहाँ कोई किसी का दुश्मन नहीं है। सब एक साथ मिलजुलकर रहते है और अपनी जरुरतें पूरी करते है।" रंगीली बोली।
"ये तो ठीक है कि हमें यहाँ आना नहीं चाहिए। पर यदि हम आते नहीं, तो तुम्हें इनके बारे में जानकारी कैसे मिलती। इनकी जानकारी न होने पर कभी हम भी इनके जाल में फँस सकते है।" भैरों बोला।
"बात तो तुमने बहुत सही कहा है। हम तुम्हारे बहुत आभारी है भैया, जो आपने इतनी अच्छी जानकारी हमें दी है।" लता और रंगीली एक साथ बोली।
भैरों खुश होकर बोला,"बात बनाना कोई तुम लोगों से सीखें। पहले हमें डींग मारने वाला समझ रही थी। खैर तुम लोगों को मेरी बात पर विश्वास हो गया, मुझे इसी बात की खुशी है। चलों, अब वापसी का उड़ान भरते है।"
" हाँ भैया, चलो। हमें जानकारी मिल गई। अब हम भूलकर भी कभी इधर नहीं आयेंगे।" लता और रंगीली एक साथ बोली। 
" ठीक है। अब कभी मत आना। आज तो मैं तुम्हें एक नयी जानकारी देने के लिए लाये थे। चलो पीछे मुड़कर घर की तरफ उड़ते है।" भैरों के इतना कहने पर तीनों पीछे घुमकर चंदन उपवन की ओर उड़ चले। एक नयी जानकारी के लिए तीनों बहुत खुश थे।

कोई टिप्पणी नहीं: