कौवे की कर्कश कांव-कांव,
नहीं किसी को, रास आती है।
ऐसे ही कठोर वाणी को,
जब तुम किसी से बोलोगे।
नहीं बनेगा, कोई संगी-साथी,
अपने भी तुमसे कतरायेंगे।
कोयल की मधुर कुहू-कुहू,
सबके मन को भाती है।
ऐसे ही मीठी वाणी को,
जब तुम भी अपनाओंगे।
सबके प्रिय बन जाओगे,
राजदुलारे ही कहलाओंगे।
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