जीने का सार (लघुकथा)

कभी-कभी किसी छोटी सी घटना में जीने का सार छुपा होता है, जो जिंदगी की सीख देकर एक सबक बन जाती है। मैं लखनऊ से आजमगढ़ अपने ससुराल जा रही थी। मैं बस की पहली पंक्ति में सपरिवार बैठी थी। छोटा बेटा गोद में सो रहा था। पति दोनों बच्चों के साथ बगल में ही उँघ रहे थे। रात के बारह-एक बजे का समय था। मेरी भी पलकें नींद के झोंकों से बोझिल थी, पर सतर्कता के कारण मैं झपकी न लेकर जोर-जबरदस्ती से जागी हुई थी।
अचानक ड्राइवर जोर से चीखते हुए साइड की सीट पर बैठे व्यक्ति को इंगित कर कंडक्टर से बोला," इस व्यक्ति को तुरंत पीछे भेजो। मैं कब से देख रहा हूँ कि यह व्यक्ति जम्हाई पर जम्हाई लिए जा रहा है। अब तो यह झपकी लेकर सोने भी लगा था।"
कंडक्टर कुछ बोलता, उससे पहले ही वह व्यक्ति हड़बड़ाते हुए उठा और पीछे चला गया। बस में अधिकांश लोगों की नींद कुछ पल के लिए टूट गई।
तभी बेटी बोली," माँ, रात का समय था और वह आदमी नींद में था, फिर ड्राइवर अंकल ने उसे डाटा क्यों?"
मैं बोली," बेटी, झपकी लेने वाला व्यक्ति अपरोक्ष रुप से ड्राइवर पर अपने नींद का प्रभाव डाल रहा था। अगर ड्राइवर अंकल उसे पीछे नहीं भेजते तो वे भी उसके नकारात्मक गलत प्रभाव में फँसकर झपकी लेने लगते, तो इसका दुष्परिणाम सबको भुगतना पड़ता। ड्राइवर अंकल ने समझदारी दिखाई। उसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए उसे पीछे भेज दिया, ताकि बस को सही तरीका से चला सकें।"
बेटी बोली," माँ, खुलकर बताईये। अभी समझ में नहीं आया।"
मैं बोली," बेटी, नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति अपने गलत सोच का प्रभाव जल्दी डालता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति से दूर रहकर अपने सोच व मानसिक स्तर को सतर्क, सबल व उर्जावान बनाना चाहिए, जिससे हमारी जिंदगी में उमंग, उत्साह व उल्लास का जोशिला भाव तरंगित कर हमें आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। यही काम ड्राइवर अंकल ने भी किया है।"
"माँ, ड्राइवर अंकल के कारण आपने जीवन में ग्रहण करने वाली बहुत अच्छी सीख दी है।" "बेटी इसके लिए ड्राइवर अंकल को धन्यवाद दो।"
"आप ठीक कह रही है, मम्मी। अंकल को धन्यवाद।" यह कहकर वह सोने लगी।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

अच्छी सीख देने वाली।