डट जाना और हट जाना,
मात्र शब्दों की माया है।
डटना वीरों की परिभाषा है,
हटना कायरता की निशानी है।
डटना संकल्प की दृढ़ता दिखलाती है,
हटना संकुचित सोच की निशानी है।
जो डटे रहते है, वे मंजिल पाते है,
जो हट जाते है, वे मंजिल से दूर हो जाते है।
जीत और हार का प्रतिरूप है यह,
पर दोनों का हिम्मत से सामना करो।
हारने से भी घबड़ाना नहीं है,
दो-दो हाथ करके, फिर जुट जाना है।
इसी लिए डरो मत, हार न मानों
बस निरंतर डटे रहो, जुझते रहो
तब सफलता के फूल खिलते रहेंगे,
कामयाबी की मंजिल मिलती रहेगी।
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