मेरे जीवन का सपना है,
मुझे भी सैनिक बन जाना है।
सीमा के वीर जवानों का,
मैं भी साथ निभाऊंगा।
जिन वीरों को देखकर ,
दुनिया आज इतराती है।
जिनकी श्रद्धा में आज,
करोड़ों शीश झुकाते है।
उन शूरवीरों की टोली में,
मैं भी नाम लिखाऊंगा।
उँचे पहाड़ की चोटियों पर,
हँसते-हँसते चढ़ जाऊंगा।
खा कसम ये कहता हूँ,
दुश्मन के छक्के छुड़ाऊंगा।
चाहे कितनी हो कठिनाई,
पीठ नहीं दिखाऊंगा।
दुश्मन को पीछे खदेड़कर,
माँ तेरी लाँज बचाऊंगा।
नहीं खेलना गुल्ली ड़ंड़ा,
ना ही पतंग उड़ाऊंगा।
नहीं करना अब सैर सपाटा,
ना ही चैन से सोऊंगा।
दुश्मन के नापाक इरादें को,
धूलधूसरित कर डालूंगा।
भारत माँ के सपनें को,
पूरा करके दिखलाऊंगा।
सरहद पर फैलाकर तिरंगा,
मातृभूमि पर शीश झुकाऊंगा।
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