रंग-बिरंगी तितली प्यारी,
तुम हो मेरे बागों की रानी।
सतरंगी रंगों में सजी-सँवरी,
लगती हो कितनी प्यारी।
फूल-फूल पर झूम-झूम,
तुम इतना इतराती हो।
मैं मंत्र-मुग्ध हो जाती हूँ,
पर तुम्हें छू नहीं पाती हूँ।
मुझे लुभाती, मुझे बहलाती,
तुम झट से उड़ जाती हो।
मैं दौड़-दौड़ कर थक जाती हूँ,
पर तुम्हें पकड़ नहीं पाती हूँ।
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