बच्चों का मनपसंद होली का त्यौहार आने वाला था। चंदन वन में जिधर देखो उधर ही धुमधड़ाका और चहल-पहल थी। पशु-पक्षी और जीव-जंतु रंग-बिरंगे रंगों और पकवानों की चर्चा में व्यस्त थे।
कालू कौआ बोला," मेरा तो रंग ही काला है। मेरे पर कोई रंग चढ़ेगा नहीं, इसलिए मैं होली का त्यौहार खूब मजे लेकर खेलूंगा और छककर पकवान खाऊंगा।"
कालू की अकड़ने वाली बात गप्पू गिलहरी को रास नहीं आया। वह हँसकर कालू से बोला," अरे कालू भैया, भूल गये पिछले होली की वह बात, जब बलोरी बंदर भैया ने तुम्हें सफेद रंग से रंगकर सफेद कबुतर बना दिया था। सफेद रंग में तुम बहुत सुंदर लग रहे थे। उस समय तुम बहुत रुआंसे हो गये थे, पर हम सभी लोगों को बहुत मजा मिला था।"
गप्पू की बात सुनकर कालू हँसकर बोला,"अरे गप्पू, होली का त्यौहार ही मजा लेने के लिए होता है। जो बीत गया, उसे मैं भूल गया था। मैं तो आने वाले होली की बात कर रहा हूँ। तुम जाकर होली के लिए खूब अच्छे-अच्छे पकवान बनाओ। ताकि हम लोगों को छककर खाने में मजा आये।"
गप्पू कालू के पीछे पड़ गई थी, बोली,"मैं तो पकवान बनाउंगी ही। लेकिन इस बार तुम भी कोई अच्छा सा मीठा पकवान बनाना। पिछले बार तुम शर्बत पिलाकर सबको टरका दिए थे। अबकी बार हम तुम्हारे हाथ की बनी मीठी पुड़ियाँ मजे लेकर खायेंगे और मौज मनायेंगे।"
दोनों की बाते सुनकर चीं-चीं गौरया बोली," गप्पू , क्यों कालू को परेशान कर रही हो। कालू के मस्ती भरे व्यवहार से ही हम लोगों को मजा मिलता है। पकवान बनाने के लिए हम लोग तो है ही, मिलकर बना लेंगें। "
"चींचीं ने कितनी समझदारी वाली बात कही है। होली का त्यौहार खुशियाँ और मस्ती वाली होती है, इस दिन सब लोग मिलकर मस्ती मारते और खुश होते है। ऐसे में किसी के दिल को दुखाने वाली बात नहीं करते है।" केशू कबुतर गुटर गूँ करते हुए बोली।
" तब तो सभी दोस्त मेरा भी बहुत ध्यान रखेंगें। मुझे गीले रंगों से और बूनी बिल्ली से बहुत डर लगता है। मैं सब कामों में सबकी मदद जी जान से करुंगी..बस कोई मुझे गीले रंगों से रंगेगा नहीं और बूनी के आने पर मुझे सतर्क कर देगा ताकि मैं भागकर बिल में छुप जांऊ और अपनी जान बचा संकू।" डर से काँपती हुई ननकी चुहिया बोली।
"देखो जी, ननकी तो अभी से ऐसे डर रही है जैसे उसे किसी ने पानी से भरे टब में अभी डूबो दिया है। अरे ननकी, जो डर गया..समझो वह मर गया। तुम डरो नहीं। हिम्मत दिखाओ। होली में हम लोग सिर्फ रंग से खेलते और मस्ती मारते है। कोई किसी को नुकसान नहीं पँहुचाता है। मैं हूँ ना। मैं तुम्हारी रक्षा करुंगी।" हरी-हरी घास चरती मोनू मेमना ननकी के पास आकर उसे समझाती हुई बोली। उसी समय बूनी बिल्ली म्याँऊ-म्याँऊ करती हुई आ गई। ननकी बूनी को एक नजर देखी। फिर मोनू की हिम्मत वाली बातें याद करके मोनू को देखती रही और चुपचाप आकर उसके बगल में खड़ी हो गई।
डरकर भागते ननकी की जगह मोनू के बगल में निर्भीक खड़ी ननकी को देखकर बूनी को महसूस हो गया कि यहाँ उसका दाल गलने वाला नहीं है। तभी वह बिना कुछ बोले चुपचाप वहाँ से खिसकने लगी।
बूनी को खिसकते देख गप्पू बोली,"अरे बूनी, कहाँ जा रही हो? कुछ अपना सुझाव भी देती जाओ कि तुम होली की तैयारी में क्या करने वाली हो?"
जाते-जाते बूनी बोली," अभी मेरे पास समय नहीं है। फिर किसी दिन आऊंगी तो तुम सबको बताऊंगी कि मैं क्या करने वाली हूँ।।" बूनी चली गई।
बूनी के जाते ही मोनू बोली,"वाह ननकी, तुमने देखा, तुम्हारे हिम्मत के कारण बूनी चुपचाप यहाँ से चली गई। तुमने हिम्मत दिखाकर बहुत बहादुरी का काम किया है।"
मोनू की बात सुनकर ननकी का चेहरा खिल गया। वह हँसती हुई बोली,"वाह मोनू, तुमने तो मेरे मन का डर ही भगा दिया। अब मैं होली भी खुलकर खेलुंगी। ट्रिंग ट्रांग ट्रिंग। बिना डर वाली होगी होली, जब मैं गीले रंगों से खेलूंगी।" ननकी झुमने लगी। ननकी के झुमने पर मोहनी मोर बोली," वाह, क्या मस्त माहौल है।" यह कहकर वह भी पंख फैलाकर नाचने लगा।
यह देखकर सबको मजा आने लगा। उसी समय सैफी हिरनी कुचालें भरती हुई सबके बीच में आकर बोली,"मस्ती के माहौल में कैसी मस्त-मस्त बातें हो रही है? मुझे भी इसमें शामिल कर लो।"
"हम लोग होली का त्यौहार कैसे मनाएंगे यही चर्चा कर रहे थे। आओ, तुम भी इसमें शामिल होकर बताओ कि हम त्यौहार को किन तैयारियों के साथ कैसे मनायेंगे।" कालू काँव-काँव करता हुआ चहककर बोला।
सैफी बोली," इसमें सोचने की बात क्या है? आज होली के तैयारियों वाला बसंत पंचमी का त्यौहार है। आज से ही होली त्यौहार का शुभारंभ होता है। होलिका दहन के लिए लकड़ियाँ आज से ही चारो तरफ से बटोरकर एक जगह इकट्ठा करते है। फिर इसके चारों तरफ झंडी और पताका लगाकर सजाते है, अबीर-गुलाल से पूजा करके लोगों के गले मिलते है। फिर मिठाई खाते और खुशियाँ मनाते है।"
"वाह, तुमने बहुत अच्छी बात बताई है। आज ही विद्या की देवी सरस्वती का भी अबीर-गुलाल से पूजा-अर्चना भी होता है।"
"बहुत खूब भैया, आज तो बहुत अच्छी जानकारी मिली है। मैं सबको अबीर लगाकर अपने होली त्यौहार का शुभारंभ करती हूँ। आओ, सब लोग मेरे साथ अबीर का टीका लगाये।"ननकी चहकती हुई सैफी से गुलाल लेकर सबको लगाने लगी।
सबको अबीर लगाने में ननकी का साथ देने पँहुची चींचीं बोली,"ननकी, तुम्हारी खुशी देखकर मुझमें भी उत्साह आ गया। मैं कालू को अबीर लगाकर अपने होली त्यौहार की शुरुआत करुंगी।"
सब लोग मिलकर लकड़ियाँ इकट्ठा किए, फिर एक दूसरे को अबीर लगाकर खुशियाँ बटोरने लगे। उसी समय खुसबू खरगोश पकवानों से भरा एक थैला लेकर आयी और बोली,"मैं सबके लिए पकवान लेकर आयी हूँ। अबीर से खेलने के बाद हम लोग पकवान खाकर मुँह मीठा करेंगे।"
" लेकिन खुसबू, अबीर से तुम्हारा सफेद मुलायम बाल खराब हो जायेगा। तुम इन रंगों से दूर रहो, यही अच्छा है।" कालू काँव-काँव करता हुआ बोला।
" अरे नहीं कालू, त्यौहार मिलजुल कर खुशियाँ मनाने के लिए ही होता है, इसलिए मेरे बालों की चिंता छोड़ो। चलो मिलकर खेलते है।" खुसबू पकवान का थैला एक तरफ रखकर सबको अबीर लगाने लगी।
होली त्यौहार के पहले पड़ने वाले बसंत पंचमी के त्यौहार का मजा सब लोगों ने खूब लिया और एक दूसरे से वादा किया कि होली में हम लोग एक साथ मिलकर खूब सारा पकवान बनायेंगे और रंग खेलकर मस्ती भरे माहौल में होली का त्यौहार मनायेंगे
कालू की अकड़ने वाली बात गप्पू गिलहरी को रास नहीं आया। वह हँसकर कालू से बोला," अरे कालू भैया, भूल गये पिछले होली की वह बात, जब बलोरी बंदर भैया ने तुम्हें सफेद रंग से रंगकर सफेद कबुतर बना दिया था। सफेद रंग में तुम बहुत सुंदर लग रहे थे। उस समय तुम बहुत रुआंसे हो गये थे, पर हम सभी लोगों को बहुत मजा मिला था।"
गप्पू की बात सुनकर कालू हँसकर बोला,"अरे गप्पू, होली का त्यौहार ही मजा लेने के लिए होता है। जो बीत गया, उसे मैं भूल गया था। मैं तो आने वाले होली की बात कर रहा हूँ। तुम जाकर होली के लिए खूब अच्छे-अच्छे पकवान बनाओ। ताकि हम लोगों को छककर खाने में मजा आये।"
गप्पू कालू के पीछे पड़ गई थी, बोली,"मैं तो पकवान बनाउंगी ही। लेकिन इस बार तुम भी कोई अच्छा सा मीठा पकवान बनाना। पिछले बार तुम शर्बत पिलाकर सबको टरका दिए थे। अबकी बार हम तुम्हारे हाथ की बनी मीठी पुड़ियाँ मजे लेकर खायेंगे और मौज मनायेंगे।"
दोनों की बाते सुनकर चीं-चीं गौरया बोली," गप्पू , क्यों कालू को परेशान कर रही हो। कालू के मस्ती भरे व्यवहार से ही हम लोगों को मजा मिलता है। पकवान बनाने के लिए हम लोग तो है ही, मिलकर बना लेंगें। "
"चींचीं ने कितनी समझदारी वाली बात कही है। होली का त्यौहार खुशियाँ और मस्ती वाली होती है, इस दिन सब लोग मिलकर मस्ती मारते और खुश होते है। ऐसे में किसी के दिल को दुखाने वाली बात नहीं करते है।" केशू कबुतर गुटर गूँ करते हुए बोली।
" तब तो सभी दोस्त मेरा भी बहुत ध्यान रखेंगें। मुझे गीले रंगों से और बूनी बिल्ली से बहुत डर लगता है। मैं सब कामों में सबकी मदद जी जान से करुंगी..बस कोई मुझे गीले रंगों से रंगेगा नहीं और बूनी के आने पर मुझे सतर्क कर देगा ताकि मैं भागकर बिल में छुप जांऊ और अपनी जान बचा संकू।" डर से काँपती हुई ननकी चुहिया बोली।
"देखो जी, ननकी तो अभी से ऐसे डर रही है जैसे उसे किसी ने पानी से भरे टब में अभी डूबो दिया है। अरे ननकी, जो डर गया..समझो वह मर गया। तुम डरो नहीं। हिम्मत दिखाओ। होली में हम लोग सिर्फ रंग से खेलते और मस्ती मारते है। कोई किसी को नुकसान नहीं पँहुचाता है। मैं हूँ ना। मैं तुम्हारी रक्षा करुंगी।" हरी-हरी घास चरती मोनू मेमना ननकी के पास आकर उसे समझाती हुई बोली। उसी समय बूनी बिल्ली म्याँऊ-म्याँऊ करती हुई आ गई। ननकी बूनी को एक नजर देखी। फिर मोनू की हिम्मत वाली बातें याद करके मोनू को देखती रही और चुपचाप आकर उसके बगल में खड़ी हो गई।
डरकर भागते ननकी की जगह मोनू के बगल में निर्भीक खड़ी ननकी को देखकर बूनी को महसूस हो गया कि यहाँ उसका दाल गलने वाला नहीं है। तभी वह बिना कुछ बोले चुपचाप वहाँ से खिसकने लगी।
बूनी को खिसकते देख गप्पू बोली,"अरे बूनी, कहाँ जा रही हो? कुछ अपना सुझाव भी देती जाओ कि तुम होली की तैयारी में क्या करने वाली हो?"
जाते-जाते बूनी बोली," अभी मेरे पास समय नहीं है। फिर किसी दिन आऊंगी तो तुम सबको बताऊंगी कि मैं क्या करने वाली हूँ।।" बूनी चली गई।
बूनी के जाते ही मोनू बोली,"वाह ननकी, तुमने देखा, तुम्हारे हिम्मत के कारण बूनी चुपचाप यहाँ से चली गई। तुमने हिम्मत दिखाकर बहुत बहादुरी का काम किया है।"
मोनू की बात सुनकर ननकी का चेहरा खिल गया। वह हँसती हुई बोली,"वाह मोनू, तुमने तो मेरे मन का डर ही भगा दिया। अब मैं होली भी खुलकर खेलुंगी। ट्रिंग ट्रांग ट्रिंग। बिना डर वाली होगी होली, जब मैं गीले रंगों से खेलूंगी।" ननकी झुमने लगी। ननकी के झुमने पर मोहनी मोर बोली," वाह, क्या मस्त माहौल है।" यह कहकर वह भी पंख फैलाकर नाचने लगा।
यह देखकर सबको मजा आने लगा। उसी समय सैफी हिरनी कुचालें भरती हुई सबके बीच में आकर बोली,"मस्ती के माहौल में कैसी मस्त-मस्त बातें हो रही है? मुझे भी इसमें शामिल कर लो।"
"हम लोग होली का त्यौहार कैसे मनाएंगे यही चर्चा कर रहे थे। आओ, तुम भी इसमें शामिल होकर बताओ कि हम त्यौहार को किन तैयारियों के साथ कैसे मनायेंगे।" कालू काँव-काँव करता हुआ चहककर बोला।
सैफी बोली," इसमें सोचने की बात क्या है? आज होली के तैयारियों वाला बसंत पंचमी का त्यौहार है। आज से ही होली त्यौहार का शुभारंभ होता है। होलिका दहन के लिए लकड़ियाँ आज से ही चारो तरफ से बटोरकर एक जगह इकट्ठा करते है। फिर इसके चारों तरफ झंडी और पताका लगाकर सजाते है, अबीर-गुलाल से पूजा करके लोगों के गले मिलते है। फिर मिठाई खाते और खुशियाँ मनाते है।"
"वाह, तुमने बहुत अच्छी बात बताई है। आज ही विद्या की देवी सरस्वती का भी अबीर-गुलाल से पूजा-अर्चना भी होता है।"
"बहुत खूब भैया, आज तो बहुत अच्छी जानकारी मिली है। मैं सबको अबीर लगाकर अपने होली त्यौहार का शुभारंभ करती हूँ। आओ, सब लोग मेरे साथ अबीर का टीका लगाये।"ननकी चहकती हुई सैफी से गुलाल लेकर सबको लगाने लगी।
सबको अबीर लगाने में ननकी का साथ देने पँहुची चींचीं बोली,"ननकी, तुम्हारी खुशी देखकर मुझमें भी उत्साह आ गया। मैं कालू को अबीर लगाकर अपने होली त्यौहार की शुरुआत करुंगी।"
सब लोग मिलकर लकड़ियाँ इकट्ठा किए, फिर एक दूसरे को अबीर लगाकर खुशियाँ बटोरने लगे। उसी समय खुसबू खरगोश पकवानों से भरा एक थैला लेकर आयी और बोली,"मैं सबके लिए पकवान लेकर आयी हूँ। अबीर से खेलने के बाद हम लोग पकवान खाकर मुँह मीठा करेंगे।"
" लेकिन खुसबू, अबीर से तुम्हारा सफेद मुलायम बाल खराब हो जायेगा। तुम इन रंगों से दूर रहो, यही अच्छा है।" कालू काँव-काँव करता हुआ बोला।
" अरे नहीं कालू, त्यौहार मिलजुल कर खुशियाँ मनाने के लिए ही होता है, इसलिए मेरे बालों की चिंता छोड़ो। चलो मिलकर खेलते है।" खुसबू पकवान का थैला एक तरफ रखकर सबको अबीर लगाने लगी।
होली त्यौहार के पहले पड़ने वाले बसंत पंचमी के त्यौहार का मजा सब लोगों ने खूब लिया और एक दूसरे से वादा किया कि होली में हम लोग एक साथ मिलकर खूब सारा पकवान बनायेंगे और रंग खेलकर मस्ती भरे माहौल में होली का त्यौहार मनायेंगे
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